छठ-पूजा-chhat-pooja

छठ पूजा

छठ पूजा

छठ पूजा Chhat Pooja 13 करोड़ बिहारियों का आत्म सम्मान और भावनाओं से सराबोर पुरे बिहार में हर घर में मनाया जाने वाला त्यौहार है।छठ पूजा बिहार का मुख्य त्यौहार के साथ साथ पूरे विश्व में मनाया जाने लगा है।  बिहार का यह महान पर्व पूरे विश्व को आध्यात्मिक और अपने प्राकृतिक धरोहर को सजोये रखने का संकेत देता है बदलते दुनियां में भी जमीन और प्राकृतिक से जोड़ कर रखने वाला एक मात्र त्यौहार  छठ पूजा ही है। 

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छठ पूजा कब है?

छठ पूजा 2023 में सष्ठी तिथि 17 नवंबर को सुबह 9:18 पर प्रारंभ हो कर 20 नवंबर को प्रातः 7:23 पर समाप्त होगी। दिवाली के छठे दिन बाद यानी कार्तिक मास के शुल्क पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। चार दिन का यह त्यौहार काफी शोभनीय और बिहार के लोगों के लिए अमृत काल का समय है। बदलते देश का ट्रेंडिंग त्यौहार है।

छठ पूजा टाइम टेबल

नहाए खाए – 17 November 2023

खरना – 18 November 2023

संध्या अर्घ्य – 19 November 2023

सूर्योदय अर्घ्य – 20 November 2023 पूजा संपन्न। 

4 दिन का यह त्यौहार 17 नवंबर 2023 शुक्रवार से नहाए खाए से शुरू होता है- जिसमें व्रत रहने वाली मां बहने सूर्य देव को जल अर्पित करने के हैं पश्चात सात्विक भोजन करती जिसमें लौकी की सब्जी खाना अनिवार्य होता है।

18 नवंबर 2023 शनिवार को खरना है। खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है इस दिन, दिन भर व्रत रहने के के पश्चात रात में रसियाव और रोटी खाकर 36 घंटे की कठिन व्रत का शुरुआत होता है। खरना के दिन ही पूजा हेतु प्रसाद भी बनता है ।

19 नवंबर दिन रविवार को छठी मैया और सूर्य देवता की पूजा की होती है जिसे संध्या अर्घ कहा जाता है अर्थात तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ देकर के प्रणाम किया जाता है पूजा किया जाता है।

20 नवंबर दिन सोमवार को उगते हुए सूरज कोअर्घ दिया जाएगा इसी के साथ 36 घंटे का कठिन व्रत संपन्न होगा।

छठ पूजा कहां-कहां मनाया जाता है?

आजकल छठ पूजा पूरे विश्व में मनाया जाता है,भारत देश के ट्रेंडिंग त्यौहार है जिसे ज्यादातर बिहार झारखंड पूर्वी उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है छठ पूजा बिहार के लिए पूजा त्यौहार नहीं महान पर्व है। बिहार के 13 करोड़ लोगों का विश्वास है, आत्म सम्मान है, दिल की पुकार है, हर बिहारी के घर में मनाया जाने वाला त्यौहार है।   

छठ पूजा क्यों मनाया जाता है?

यह महापर्व परिवार की सुख समृद्धि, मनोवांछित फल, संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।
सभी के पास छठ पूजा मनाने के अपने-अपने कारण हो सकते हैं क्योंकि भगवान से मांगने का हक सभी को है। इस पृथ्वी पर साक्षात भगवान अगर कोई है तो वह सूर्य है  जो हमें ऊर्जा प्रदान करते हैं और सूर्य की आराधना बिहार, झारखंड एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार ही छठ पूजा है।

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छठ पूजा पर प्रचलित कथाएं।

छठ मनाये जाने को लेकर विभिन्न कथाएं प्रचलित है जिसमें सबसे पहले माता सीता ने बिहार के मुंगेर जिले में गंगा तट पर पहले छठ पूजन किया था।
भगवान सूर्य और कुंती के पुत्र कर्ण भी छठ पूजा किया करते थे।
भगवान श्री कृष्ण के कहने पर द्रौपदी द्वारा छठ का व्रत रखना शोभनीय है।
रामराज्य की स्थापना के लिए भगवान राम और सीता द्वारा छठ पर्व करना। 

छठ पूजा कैसे मनाया जाता है?

छठ बहुत ही पवित्र और कठिन त्यौहार है छठ पूजा के लिए तीन दिनों तक निर्जला व्रत रखा जाता है घर के साफ-सफाई से लेकर सात्विक भोजन और महत्वपूर्ण यह है की छठ का प्रसाद केवल व्रत रहने वाला हीबनाता है मतलब की शुद्धता में कोई भी कटौती नहीं। 

छठ पूजा मनाने की विधि ?

व्रत रखने वाली मां – बहन को गद्दा या पलंग पर नहीं सोना चाहिए चार दिन तक जमीन पर ही आसान बिछाकर सोना चाहिए जिसमें नीचे पुआर बिछा सकते हैं। घर में आसपास ध्यान देना चाहिए की तामसिक भोजन जैसे लहसुन प्याज का सेवन नहीं होना चाहिए। 

छठ पूजा मनाने के लिए व्रत रहने वाले को पहले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर छठ व्रत का संकल्प ले तत्पश्चात सूर्य देव और छठी मैया का ध्यान कर के छठ पूजा के लिए चार दिन का संकल्प  के साथ मन को एकाग्र करना शांत करना और भक्ति भाव में लीन हो जाना चाहिए। 

किस दिन क्या करें ?

पहला दिन नहाए खाए – दाल चावल और लौकी की सब्जी। 

दूसरा दिन खरना – इस दिन, दिन भर निर्जला व्रत रह कर रात में  रसियाव(गुड़ में बनी खीर) रोटी ग्रहण किया जाता है। 

तीसरे दिन – निर्जला व्रत (उपवास) डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है – बहते हुए जल में सूप लेकर गाए के दूध से अर्घ्य दिया जाता है। 

चौथा दिन- उगते हुए सूरज को बहते हुए जल में खड़े होकर सूप लेकर गाए के दूध से अर्घ्य दिया जाता है।

अर्घ्य पुत्र या पति दे तो ज्यादा अच्छा होता है। 

पूजा की सामग्री

खरना के दिन (दूसरे दिन) ही सभी पूजा सामग्री खरीदना चाहिए।
डाला, शुपली, गागल, नारियाल, धूप बत्ती, कपूर, चंदन, सिंदूर, कुमकुम, चौमुखी दीपक, तेल, बत्ती, छोटे दीपक, भीगे चने, अक्षत, हल्दी, फूल, केला, गन्ना, सेब, हरी हल्दी, हरि अदरख, पान का पत्ता, साठी का चावल, अलता का पत्ता, सुपारी (कसैली), लोटा में जल, सेब, संतरा, ठेकुआ, खसटा(गुड़ से बना हुआ) इत्यादि। 

छठ पूजा पर प्रचलित गीत।

कांच ही बांस  के बहंगिया बहंगी लचकत जायें। 
पहिले पहिले हम कइनी, छठी मईया व्रत तोहर ।
केरवा के पात पर ऊगेलन सूरज देव झांकी झुकी ना। 
केरवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेड़राये।
उग हे सूरज देवआदि।