करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस, कर्म मानुष का धर्म है, संत भाखै रविदास।
भला किसी का नहीं कर सकते, तो बुरा किसी का मत करना, फूल जो नहीं बन सकते तुम, तो कांटा बनकर भी मत रहना।
कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न दें। एक छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को बीन सकती है, लेकिन एक विशालकाय हाथी ऐसा नहीं कर सकता।
संत रविदास एक भक्तिकालीन संत, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। वह भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे।
भक्ति में लीन होने के बाद भी उन्होंने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ा और समाज में फैली बुराइयों को रोकने के लिए लोगों में जागरुकता फैलाई।
हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए और साथ-साथ मिलने वाले फल की भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए, क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य।